दुर्गा पूजा पर निबंध: (Durga Puja Par Nibandh) 100 से 200 शब्द

durga puja par nibandh : दुर्गा पूजा हिंदू के लिए सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।, जो दस दिनों तक चलता है. सातवें दिन माँ दुर्गा की मूर्ति को पूजा जाती है, और आखिरी तीन दिनों में पूजा और भी भव्य होती है। यह त्यौहार सितंबर या अक्टूबर में मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा का प्रतीक है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था, जो बुराई पर विजय थी| हिन्दू लोग इसे हर साल बड़े उत्साह और विश्वास से मनाते हैं। यह एक धार्मिक त्योहार है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। यह प्रत्येक वर्ष पतझड़ के मौसम में आता है।

परिचय: (दुर्गा पूजा पर निबंध 500 शब्दों में)

योजना

भारत मेलों और त्योहारों का देश है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और सभी वर्ष अपने-अपने त्योहारों और उत्सवों को मनाते हैं। इस धरती पर यह एक पवित्र स्थान है, जहाँ कई पवित्र नदियाँ हैं और बड़े धार्मिक उत्सवों और त्योहारों को मनाया जाता है।

पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा या नवरात्र (नौ रातों का त्योहार) एक त्योहार है। यह देश भर में खुशी से भरे उत्सव पैदा करता है। लोग देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए या तो मंदिरों में जाते हैं या घर पर पूरी तरह से तैयार होकर उनकी कृपा करते हैं।

दुर्गा पूजा समारोह

नवरात्र, या दुर्गा पूजा, बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। भक्तों का मानना है कि इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासुर को हराया था। ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने उन्हें इस राक्षस को मारकर दुनिया को इससे छुटकारा दिलाने के लिए कहा था। नौ दिन की लड़ाई के बाद, उन्होंने दसवें दिन, दशहरा, उस राक्षस को मार डाला। वास्तव में नवरात्र का अर्थ है देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रात। दुर्गा पूजा के त्योहार पर विदेशी पर्यटकों की एक स्थान पर भारी भीड़ होती है।

दुर्गा पूजा की परंपरा: 

दुर्गा पूजा के बारे में बहुत सारी परंपराएं हैं। ये कुछ परंपराएं हैं:

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मूर्ति स्थापना: मूर्ति की स्थापना से दुर्गा पूजा शुरू होती है। आज देवी दुर्गा की मूर्तियों को घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर लगाया जाता है।

पूजा: दुर्गा पूजा में उनकी विधिवत पूजा की जाती है। इस पूजा में मंत्र जाप, भजन और आरती करना शामिल है।

भोग: दुर्गा पूजा के दौरान उसे कई प्रकार की भोजन दी जाती हैं। इन खाद्य पदार्थों में मिठाई, पकवान, फल और सब्जियां शामिल हैं।

नाच और संगीत: दुर्गा पूजा के दौरान नृत्य होता है। इस दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भजन और गीत गाए जाते हैं।

रावण दहन: दुर्गा पूजा के अंतिम दिन रावण दहन होता है। आज राक्षस रावण की प्रतिमा जलाया जाता है। बुराई का यह चित्रण है।

दुर्गा पूजा पर 100 शब्दों का निबंध (Durga Puja Per Nibandh 100 Word)

दुर्गा पूजा भारत के हिंदू त्योहारों में से एक है, जो बड़े पैमाने पर पूरे देश में मनाया जाता है। शरद ऋतु में दुर्गा पूजा होती है। हम दुर्गा की पूजा करते हैं, जो महिषासुर को मार डाला था, क्योंकि वह विजेता थी। देवी दुर्गा को तीन दिनों तक पूजा जाती है, और चौथे दिन उन्हें नदियों में विसर्जित किया जाता है।

हर कोई नए कपड़े पहनता है, विभिन्न खाद्य पदार्थों और मिठाइयों का सेवन करता है, अपने परिवार, दोस्तों और मित्रों से मिलता है और पंडाल में जाता है। कोलकाता इस त्योहार में एक अलग तरह से उत्सवपूर्ण माहौल में है। बंगाली संस्कृति में त्योहार का एक विशेष स्थान है।

दुर्गा पूजा पर 150 शब्दों का निबंध

दुर्गा पूजा, एक हिंदू उत्सव, देवी की पूजा करता है। यह महिषासुर नामक शैतान पर उसकी जीत को मानता है, जो दुनिया को उसके बुरे कामों से दूर करता है। दुर्गा पूजा उत्सव नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होता है। दुर्गा पूजा दशहरा के साथ मनाई जाती है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है। उस दिन लोग दुर्गा की पूजा करते हैं, लेकिन सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय भी इसी तरह पूजे जाते हैं। अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग एक साथ बैठकर देवी दुर्गा को उनके उपहार के रूप में खुशी की सराहना करते हैं, ट्रस्टियों के कई दुर्गा पूजा बोर्ड सभी को मुफ्त दावत देते हैं।

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कोलकाता, जहां दुर्गा पूजा उत्सव प्रभावशाली है, वास्तविक दुर्गा पूजा का अनुभव है। विजयादशमी पर ये मूर्तिपूजन जलस्रोतों में डुबकी लगाकर समापन होता है। दुर्गा पूजा का वार्षिक उत्सव लोगों में आध्यात्मिकता, खुशी और प्रतिबद्धता का उत्सव है।

दुर्गा पूजा पर निबंध 200 शब्दों में

भारत अपने मेलों और समारोहों के लिए जाना जाता है। यह कहा जाता है कि यहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं और हर साल उनके उत्सवों की प्रशंसा करते हैं। इस धरती पर यह एक स्वर्गीय स्थान है, जहाँ कई पवित्र नदियाँ बहती हैं और बड़े उत्सव होते हैं। नवरात्रि या दुर्गा पूजा, विशेष रूप से पूर्वी भारत में, एक उत्सव (नौ रातों का उत्सव) है। यह देश भर में खुशी का वातावरण बनाता है। लोग मंदिरों में जाते हैं या घर पर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। भक्त अपने जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए दुर्गादेवी की पूजा करते हैं।

नवरात्रि या दुर्गा पूजा में बुराई पर अच्छाई की जीत को महिषासुर नामक शैतान को श्रद्धांजलि दी जाती है। देवी दुर्गा ने भगवान ब्रह्मा, शिव और विष्णु से कहा कि वह राक्षस को मार डाले और दुनिया को बुरी आत्माओं से मुक्त करे। लंबी लड़ाई के बाद, उसने दसवें दिन, दशहरा, उस दुष्ट आत्मा को मार डाला। नवरात्रि का असली अर्थ है देवी और शैतान की लड़ाई के नौ दिन और रातें। दुर्गा पूजा में भक्तों और बाहर से आए पर्यटकों की भारी भीड़ होती है।

दुर्गा पूजा पर निबंध 400 शब्दों में

भारत भर में लाखों लोग दुर्गा पूजा को सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक मानते हैं। देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर को हराया, जो बुराई पर अच्छाई को हराता है। त्योहारों का धार्मिक और सांस्कृतिक भी अर्थ है।

दुर्गा पूजा की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। देवी दुर्गा और उनके चार बच्चों लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियाँ बहुत सावधानीपूर्वक बनाई जाती हैं। इन मूर्तियों को सुंदर पंडाल में स्थापित किया जाता है। प्रत्येक पंडाल की थीम कलाकृत विचारों, अतीत या वर्तमान से प्रेरित होती है। पंडाल दिलचस्प कला और रचनात्मकता प्रदर्शित करते हैं।

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यह त्यौहार दस दिनों तक चलता है, लेकिन अंतिम पांच दिन सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। देवी का आशीर्वाद मांगने के लिए व्यापक अनुष्ठान और समारोह किए जाते हैं। भक्त पूजा-अर्चना करने, आशीर्वाद लेने और उत्सवपूर्ण वातावरण में डूबने के लिए पंडालों में इकट्ठा होते हैं, सभी पारंपरिक कपड़े पहने हुए हैं। माहौल को जीवंत बनाने के लिए संगीत, नृत्य और थिएटर के प्रदर्शन होते हैं।

दुर्गा पूजा केवल धार्मिक कारणों से नहीं होती; यह समाज के नियमों से बाहर है। उत्सव में विभिन्न समुदायों और पृष्ठभूमिओं से लोग एकत्र होते हैं। यह त्यौहार एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है, जो समाज में सद्भाव बनाता है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है, रोजगार के अवसर बनाता है और कपड़े, भोजन और सजावट से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देता है।

दुर्गा पूजा का शानदार समापन जल निकायों में मूर्तिविसर्जन होता है। यह देवी की स्वर्ग में उनकी वापसी का प्रतीक है, और अगले वर्ष उनकी जल्दी वापसी की प्रार्थना भी की जाती है। विसर्जन जुलूस, या “विसर्जन”, एक मनोरम दृश्य है जो संगीत, नृत्य और भावनाओं से भरा है।

निष्कर्षतः

वास्तव में, दुर्गा पूजा को शक्ति पाने की इच्छा से मनाया जाता है ताकि दुनिया भर की बुराईयों को समाप्त किया जा सके। जिस प्रकार देवी दुर्गा ने ब्रह्मा, विष्णु और शंकर की शक्तियों को एकत्र करके धर्म को बचाया, उसी प्रकार हम अपनी बुराईयों पर विजय प्राप्त करके मनुष्यता को बढ़ा सकते हैं। यह दुर्गा पूजा का संदेश है। मनुष्य के जीवन में हर पर्व या त्योहार अलग महत्व रखता है क्योंकि इनसे विशेष प्रकार का आनंद मिलता है और जीवन को उत्साह और नव ऊर्जा देते हैं। दुर्गपूजा भी एक ऐसा त्योहार है, जो हमें ऊर्जा और उत्साह देने में महत्वपूर्ण है।

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