श्री दुर्गा कवच (durga kavach) एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जो माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच भगवान ब्रह्मा द्वारा ऋषि मार्कंडेय को प्रदान किया गया था। इसका नियमित पाठ करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में हम श्री दुर्गा कवच के अर्थ, महत्व, पाठ की विधि और इसके लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
श्री दुर्गा कवच क्या है?
श्री दुर्गा कवच (durga kavach hindi), जिसे देवी कवच भी कहा जाता है, एक मंत्रमय स्तोत्र है जो माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की स्तुति करता है। यह 47 श्लोकों से युक्त है और श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले इसका जाप किया जाता है। यह कवच भक्तों को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर सुरक्षा प्रदान करता है।
- उत्पत्ति: भगवान ब्रह्मा ने इसे ऋषि मार्कंडेय को सुनाया।
- उद्देश्य: नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और तंत्र-मंत्र से रक्षा।
- प्रभाव: जीवन में सकारात्मकता, आत्मविश्वास और समृद्धि।
Durga Kavach in Hindi | दुर्गा कवच हिंदी में
ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी !
दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !!
के जो गुप्त मंत्र है संसार में !
हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में !!
हर इक का कर सकता जो उपकार है !
जिसे जपने से बेडा ही पार है !!
पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का !
जो हर काम पूरे करे सवाली का !!
सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ !
मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ !!
कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना !
जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !!
नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये !
उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
पहली शैलपुत्री कहलावे !
दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे !!
तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम !
चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम !!
पांचवी देवी अस्कंद माता !
छटी कात्यायनी विख्याता !!
सातवी कालरात्रि महामाया !
आठवी महागौरी जग जाया !!
नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने !
नव दुर्गा के नाम बखाने !!
महासंकट में बन में रण में !
रुप होई उपजे निज तन में !!
महाविपत्ति में व्योवहार में !
मान चाहे जो राज दरबार में !!
शक्ति कवच को सुने सुनाये !
मन कामना सिद्धी नर पाए !!
चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार !
बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
हंस सवारी वारही की !
मोर चढी दुर्गा कुमारी !!
लक्ष्मी देवी कमल असीना !
ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!
ईश्वरी सदा बैल सवारी !
भक्तन की करती रखवारी !!
शंख चक्र शक्ति त्रिशुला !
हल मूसल कर कमल के फ़ूला !!
दैत्य नाश करने के कारन !
रुप अनेक किन्हें धारण !!
बार बार मैं सीस नवाऊं !
जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!
कष्ट निवारण बलशाली माँ !
दुष्ट संहारण महाकाली माँ !!
कोटी कोटी माता प्रणाम !
पूरण की जो मेरे काम !!
दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ !
चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ !!
कहो जय जय जय महारानी की !
जय दुर्गा अष्ट भवानी की !!
अग्नि से अग्नि देवता !
पूरब दिशा में येंदरी !!
दक्षिण में वाराही मेरी !
नैविधी में खडग धारिणी !!
वायु से माँ मृग वाहिनी !
पश्चिम में देवी वारुणी !!
उत्तर में माँ कौमारी जी!
ईशान में शूल धारिणी !!
ब्रहामानी माता अर्श पर !
माँ वैष्णवी इस फर्श पर !!
चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो !
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
सन्मुख मेरे देवी जया !
पाछे हो माता विजैया !!
अजीता खड़ी बाएं मेरे !
अपराजिता दायें मेरे !!
नवज्योतिनी माँ शिवांगी !
माँ उमा देवी सिर की ही !!
मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी !
भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका !!
काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी !
नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !!
संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!
ऊपर वाणी के होठों की !
माँ चन्द्रकी अमृत करी !!
जीभा की माता सरस्वती !
दांतों की कुमारी सती !!
इस कठ की माँ चंदिका !
और चित्रघंटा घंटी की !!
कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की !
माँ मंगला इस बनी की !!
ग्रीवा की भद्रकाली माँ !
रक्षा करे बलशाली माँ !!
दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी !
दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !!
शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी !
जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी !!
हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की !
गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !!
घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी !
टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी !!
रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर !
आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर !!
बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान !
सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान !!
धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन !
तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण !!
आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार !
ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार !!
विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल !
दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल !!
भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश !
मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !!
यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये !
कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !!
है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान !
लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान !!
मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए !
कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये !!
ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य !
यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया !!
रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !
जगत की भलाई को मैंने बताया !!
सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित !
है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया !!
चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो !
सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !!
जो संसार में अपने मंगल को चाहे !
तो हरदम कवच यही गाता चला जा !!
बियाबान जंगल दिशाओं दशों में !
तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा !!
तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में !
कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा !!
निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे !
चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !!
तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा !
तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए !!
यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा !
यही तेरे सिर से हर संकट हटायें !!
यही भूत और प्रेत के भय का नाशक !
यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये !!
इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर !
जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !!
इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे !
कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे !!
श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम !
सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम !!
कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ !
तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण !!
श्री दुर्गा कवच का महत्व
श्री दुर्गा कवच का पाठ न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह मन को शांत करता है और तनाव को कम करने में मदद करता है। नवरात्रि के दौरान इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
आध्यात्मिक महत्व
- माँ दुर्गा की कृपा से भक्तों को सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- यह कवच भय, चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
- नौ दुर्गा स्वरूपों की स्तुति से जीवन में शक्ति और साहस बढ़ता है।
वैज्ञानिक महत्व
- मंत्रों का उच्चारण मस्तिष्क में सकारात्मक तरंगें उत्पन्न करता है।
- नियमित पाठ से एकाग्रता और मानसिक स्थिरता बढ़ती है।
- यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है।
श्री दुर्गा कवच के नौ स्वरूप
श्री दुर्गा कवच में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों का उल्लेख है, जो निम्नलिखित हैं:
- शैलपुत्री: पहला स्वरूप, जो स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है।
- ब्रह्मचारिणी: ज्ञान और तपस्या की देवी।
- चन्द्रघण्टा: शांति और साहस प्रदान करने वाली।
- कूष्माण्डा: सृष्टि की रचनाकार।
- स्कन्दमाता: मातृत्व और करुणा की प्रतीक।
- कात्यायनी: युद्ध और विजय की देवी।
- कालरात्रि: अंधकार और बुराई का नाश करने वाली।
- महागौरी: शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक।
- सिद्धिदात्री: सिद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली।
श्री दुर्गा कवच पाठ की विधि
श्री दुर्गा कवच का पाठ करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन करें:
- शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: पूजा स्थल को साफ करें और माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सामग्री: दीप, धूप, फूल, और प्रसाद तैयार करें।
- संकल्प: पाठ का उद्देश्य मन में संकल्प करें।
- उच्चारण: श्लोकों का स्पष्ट और सही उच्चारण करें।
- समापन: पाठ के बाद माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
नोट: पाठ के दौरान पूर्ण श्रद्धा और भक्ति बनाए रखें। गलत उच्चारण से बचें, क्योंकि यह प्रभाव को कम कर सकता है।
श्री दुर्गा कवच के लाभ
नियमित रूप से श्री दुर्गा कवच का पाठ करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
- रक्षा: नकारात्मक शक्तियों, बुरी नजर और तंत्र-मंत्र से सुरक्षा।
- स्वास्थ्य: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
- सफलता: कार्यों में बाधाओं का नाश और सफलता की प्राप्ति।
- शांति: मन की शांति और तनाव से मुक्ति।
- आध्यात्मिक उन्नति: माँ दुर्गा की कृपा से आत्मिक विकास।
नवरात्रि में श्री दुर्गा कवच का महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में श्री दुर्गा कवच का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक स्वरूप की पूजा के साथ इस कवच का जाप करने से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होता है। यह नवरात्रि की पूजा को और प्रभावशाली बनाता है।
निष्कर्ष
श्री दुर्गा कवच एक ऐसा आध्यात्मिक उपकरण है, जो भक्तों को माँ दुर्गा की दिव्य शक्ति से जोड़ता है। इसका नियमित पाठ न केवल जीवन की बाधाओं को दूर करता है, बल्कि आंतरिक शांति और सकारात्मकता भी प्रदान करता है। चाहे आप नवरात्रि में इसकी पूजा करें या नियमित रूप से इसका जाप करें, यह कवच आपके जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा लाएगा।
Also Read: Maa Durga Stuti Mantra