Rahim Das ke Dohe : रहीमदास के 8 लोकप्रिय दोहे जो आज भी जिंदगी की वास्तविकता को करते हैं प्रकट
“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।” इस ब्लॉग में आप Rahim Ke Dohe पढ़ेंगे। आपको बता दें कि 17 दिसंबर 1556 ईस्वी में लाहौर में अब्दुल रहीम खानखाना का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम बैरम खां था, और माता का नाम जमाल खान … Read more