Story for Kids in Hindi | Best Moral Stories in Hindi | Long Story in Hindi

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बूढ़ा गिद्ध (Short Stories for Kids in Kindi)

बूढ़ा गिद्ध

एक बार की बात है, एक घने जंगल में गिद्धों का एक झुंड रहता था। उस झुंड में एक बूढ़ा गिद्ध भी रहता था। वह गिद्ध बहुत बुद्धिमान और दयालु था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन, गिद्धों का झुंड भोजन की तलाश में उड़ रहा था। तभी, वे एक छोटे से टापू पर पहुंचे। टापू पर बहुत सारी मछली और मेंढक थे। गिद्धों ने देखा कि टापू पर रहने के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं। इसलिए, उन्होंने टापू पर रहने का फैसला किया।

बूढ़ा गिद्ध इस फैसले से खुश नहीं था। वह सोचता था कि टापू पर रहने से गिद्धों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता खो जाएगी। वह गिद्धों से कहता था, “मेरे भाइयों, हमें इस टापू से जल्दी से भाग जाना चाहिए। यहां रहने से हम कमजोर हो जाएंगे।”

लेकिन गिद्धों ने बूढ़े गिद्ध की बात नहीं मानी। वे टापू पर रहने लगे। वे बिना किसी मेहनत के भरपेट भोजन करते और आराम से जीवन जीते थे।

कुछ समय बाद, टापू पर रहने वाले सभी गिद्ध मोटे और आलसी हो गए। वे उड़ना भी भूल गए। एक दिन, एक शिकारी टापू पर आया। उसने बिना किसी परेशानी के सभी गिद्धों को पकड़ लिया और उन्हें मार डाला।

बूढ़ा गिद्ध अकेला ही जंगल में लौट आया। वह बहुत दुखी था। वह सोचता था कि अगर उसने गिद्धों को टापू से भागने के लिए नहीं कहा होता, तो शायद वे आज जिंदा होते।

बूढ़े गिद्ध की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए। हमें किसी अनजान पर अंधा विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें अपने दम पर खड़े रहना चाहिए और अपनी स्वतंत्रता और स्वायत्तता को बनाए रखना चाहिए।

सपनों की उड़ान (Short Moral Stories in Hindi)

सपनों की उड़ान

रूही के स्कूल में गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ गई थीं। रूही बहुत खुश थी। उसकी मौसी मुंबई में रहती थीं। रूही अपने परिवार के साथ हवाई जहाज़ से मुंबई जाने वाली थी। सारी तैयारियाँ हो चुकी थीं। वह पहली बार हवाई यात्रा करने जा रही थी ।

माँ ने कहा, “रूही, सो जाओ। सुबह जल्दी जाना है ।”

रूही को रात में सपना आया । उसने देखा कि वह हवाई जहाज़ में बैठी हुई है। जहाज उड़ने की तैयारी में है। उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया। फिर तेज़ी से दौड़ने लगा। तेज़ आवाज़ कानों में गूँजने लगी । जहाज़ उड़ान भरने ही वाला था कि अचानक! ज़ोर का झटका लगा। वह हड़बड़ाकर उठ बैठी। सामने माँ खड़ी थीं वह रूही को जगा रही थी, “चलो रूही, जल्दी उठो । जाना है कि नहीं?”

“क्या हम जहाज़ में बैठ गए?” रूही ने आँखें मलते हुए पूछा।「

“सपनों की उड़ान छोड़ो”, माँ ने हँसकर कहा। अब वास्तविक दुनिया की उड़ान भरनी है।रूही उठकर अपना मुँह धोने चली गई।

मिट्टी का हाथी (Hindi Story for Kids)

मिट्टी का हाथी

दयालबाग कुम्हार हैं। जब वे बर्तन बनाते हैं, तो उनकी बेटी सोनी भी मदद करती है|
एक दिन सोनी अपने छोटे भाई राजू के साथ खेल रही थी। तब दयालबाग ने मिट्टी का हाथी बनाया। खेल-खेल में राजू का हाथ हाथी की सूँड़ पर लग गया। हाथी गिरकर टूट गया। राजू के साथ-साथ सोनी भी रोने लगी। माँ ने दोनों को समझाया।
राजू तो चुप हो गया, लेकिन सोनी रोती ही रही और रोते-रोते सो गई।
वह सुबह उठी तो हैरान थी। हाथी सामने खड़ा था। हाथी के साथ एक घोड़ा और ऊँट भी था। उसने माँ से पूछा, “ये सब कहाँ से आए?”
“आए नहीं हैं,” माँ ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। इन्हें तुम्हारे बाबा ने बहुत मेहनत से बनाए हैं। सोनी दौड़कर अपने पिता से रोई, “तुमने मेरे लिए इतनी मेहनत क्यों की, बाबा!”
“दिल टूटना, खिलौने के टूटने से बड़ा होता है मेरी बच्ची !”

साधु की पुत्री (Hindi Story for Children)

साधु की पुत्री

गंगा नदी के किनारे एक धार्मिक व्यक्ति रहता था। वे विद्वान और जादूगर थे। एक दिन, ध्यान में मग्न होकर उनके हाथों में एक बाज की चुहिया गिरी। उसकी काली-चमकीली आँखें और छोटी-सी पूँछ थीं।

उन्हें वह बहुत अच्छी लगी, लेकिन घर ले जाने से पहले उन्होंने उसे जादुई मंत्रों से एक लड़की बना दिया।

उस लड़की को घर ले जाकर अपनी पत्नी से कहा, “तुम हमेशा से संतान चाहती थीं न, तो लो आज से यही हमारी पुत्री है, इसे पूरी देखभाल व स्नेह से पालो।” परमेश्वर की पत्नी भी अपनी पुत्री को देखकर खुश हो गई। उसे राजकुमारी की तरह व्यवहार करने लगी। साल बीतते गए, छोटी लड़की एक खूबसूरत युवा बन गई। वह अठारह वर्ष की थी जब साधु और उसकी पत्नी उसके लिए वर खोजने लगे।

कौओं की चिंता (Hindi Kahaniya for Kids)

कौओं की चिंता

एक छोटे से गाँव के बाहर विशाल बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक नर और मादा कौआ अपने बच्चों के साथ रहते थे। वे सभी बहुत खुश रहते थे। अचानक एक साँप उस पेड़ पर खोखल में घर बना कर रहने लगा। साँप बहुत बड़ा और खतरनाक था। जब कौए भोजन की तलाश में निकल जाते, तो साँप उनके घोंसले में जाकर उनके बच्चों को खा जाता था।

कौओं को बहुत दुख हुआ। मादा कौआ ने कहा, “हमें यह जगह छोड़ देनी चाहिए। जब तक यह साँप यहाँ रहेगा, हमारे बच्चे जीवित नहीं रहेंगे।” नर कौए को भी बहुत बुरा लग रहा था, पर उसे साँप से लड़ने का कोई उपाय नहीं दिख रहा था।

आखिर में, उन्होंने अपने बुद्धिमान मित्र गीदड़ की सलाह लेने की सोची। वे गीदड़ के पास गए और सारी परेशानी बताई। गीदड़ ने कहा, “चिंता मत करो। मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”

गीदड़ ने कौओं को एक हार लाकर दी और कहा, “इस हार को साँप के बिल में फेंक दो।” कौए ने गीदड़ की बात मानी और हार को साँप के बिल में फेंक दिया।

साँप ने हार देखी तो बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, “अब तो मैं इन कौओं को आसानी से मार सकता हूँ।” साँप ने हार को अपने मुंह में दबा लिया और बाहर निकल आया।

तभी, दरबान ने साँप को देखा। दरबान हार को देखकर समझ गया कि यह कौओं की चाल है। उसने एक लंबी लाठी की मदद से हार निकालने की कोशिश की। साँप चिढ़ गया और फुकारता हुआ बाहर निकला। दरबान डर गया और उसे लाठी से पीट-पीट कर मार डाला।

कौए साँप को मरा देख बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने गीदड़ को धन्यवाद दिया। इसके बाद वे अपने बच्चों के साथ बरगद के पेड़ पर खुशी-खुशी रहने लगे।

शिक्षा:

चिंता से किसी भी समस्या का हल नहीं निकलता। बुद्धिमानी से काम लेकर किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है।

चतुर खरगोश (Short Kahani in Hindi)

चतुर खरगोश

एक बार की बात है, एक जंगल में एक बहुत ही निर्दयी शेर रहता था। वह जंगल के सभी जानवरों को डराता था। वह हर दिन किसी न किसी जानवर को खा जाता था।

एक दिन, शेर ने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और कहा, “मैं अब से इस जंगल का राजा हूँ। हर दिन, एक जानवर मुझे अपना भोजन बनकर देगा।”

जानवर बहुत डरे हुए थे। वे नहीं जानते थे कि क्या करें। वे शेर के सामने हार मानने के लिए तैयार नहीं थे।

तभी, एक छोटा सा खरगोश सामने आया। उसने शेर से कहा, “महाराज, मैं आपके लिए अपना भोजन बनने के लिए तैयार हूँ। पर, मुझे एक शर्त है।”

शेर ने कहा, “तुम्हारी शर्त क्या है?”

खरगोश ने कहा, “आप मुझे 20 मीटर आगे एक कुएँ के पास ले जाएँ। मैं उस कुएँ में कूदकर अपना भोजन बन जाऊँगा।”

शेर को यह शर्त ठीक लगी। वह खरगोश को कुएँ के पास ले गया।

खरगोश कुएँ के पास पहुँचकर बोला, “महाराज, मैं कुएँ में कूदने से पहले आपको एक बात बताना चाहता हूँ।”

शेर ने कहा, “क्या बात है?”

खरगोश ने कहा, “इस कुएँ में एक और शेर रहता है। वह बहुत ही खतरनाक है।”

शेर को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया। वह बोला, “तुम मुझे झूठ बोल रहे हो। इस कुएँ में कोई शेर नहीं है।”

खरगोश ने कहा, “आप खुद देख लीजिए।”

खरगोश कुएँ में कूद गया। कुएँ में पानी बहुत कम था। खरगोश कुएँ के किनारे पर बैठ गया और शेर को आवाज़ दी, “महाराज, मैं यहाँ हूँ। देखिए, यहाँ कोई शेर नहीं है।”

शेर को खरगोश की बात पर विश्वास नहीं हुआ। वह भी कुएँ में कूद गया।

शेर कुएँ में गिरते ही पानी में डूब गया। खरगोश कुएँ से बाहर निकल आया और जंगल के सभी जानवरों को खुशखबरी सुनाई।

जानवरों ने खरगोश को धन्यवाद दिया। खरगोश की चतुराई से सभी जानवरों की जान बच गई।

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