श्री गणेश जी की आरती – Shri Ganesh Ji Ki Aarti In Hindi English Me

गणेश जी की आरती क्यों करते हैं?(Ganesh jee kee aarti kyon karate hain?)

श्री गणेश जी की आरती (shri ganesh ji ki aarti) हम इसलिए करते हैं क्योंकि हम उनसे उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। गणेश जी को हम ‘विघ्नहर्ता’ कहते हैं, जिन्हें हमारे रास्ते में आने वाले सभी विघ्नों को दूर करने की क्षमता है। वे हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इसलिए, हर किसी शुभ कार्य की शुरुआत में गणेश जी की आरती से हम उनकी कृपा प्राप्त करते हैं, ताकि कोई भी विघ्न हमारे कार्य को आवरण न करे और सब कुछ सुचरित हो।

गणेश जी की आरती कब करना चाहिए?(Ganesh jee ki aarti kab karana chaahiye?)

गणेश जी की आरती हम सुबह और शाम, दोनों समयों में कर सकते हैं। सुबह की आरती हमें नए दिन की शुरुआत में उनकी कृपा प्राप्त करने में मदद करती है, जबकि शाम की आरती हमें दिनभर के कार्यों के बाद उनका धन्यवाद अर्पित करने का अवसर देती है।

गणेश जी की आरती के फायदे(Ganesh jee kee aarti ke fayade)

  1. सभी विघ्नों का नाश होता है।
  2. सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  3. बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  4. जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

गणेश जी की आरती कैसे करें?(Ganesh jee kee aarti kaise kare?)

गणेश जी की आरती के लिए सबसे पहले हमें उनकी प्रतिमा या तस्वीर को एक चौकी पर रखना चाहिए। उसके बाद, हमें आरती की सामग्री को तैयार करना होगा, जिसमें धूप, दीप, फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि शामिल होते हैं।

श्री गणेश जी की आरती (Shri Ganesh Ji Aarti)

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥[

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

गणेश जी की आरती का अर्थ

प्रथम श्लोक में गणेश जी की जय-जयकार की गई है।

दूसरे श्लोक में गणेश जी के रूप का वर्णन किया गया है।

तीसरे श्लोक में गणेश जी की कृपा का वर्णन किया गया है।

चौथे श्लोक में गणेश जी से प्रार्थना की गई है कि वे सभी मनोकामनाएं पूरी करें।

पांचवें श्लोक में गणेश जी से प्रार्थना की गई है कि वे सभी भक्तों की रक्षा करें।

श्री गणेश जी की आरती (shri ganesh ji ki aarti) हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रार्थना है। यह आरती गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। वे सभी विघ्नों को दूर करते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

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