Shiv Shalisa शिव चालीसा: भगवान शिव की महिमा का गुणगान

शिव चालीसा हिंदी में: भगवान शिव, जिन्हें संहारक और कल्याणकर्ता के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख देवताओं में से एक हैं। उनकी महिमा और भक्ति का वर्णन करने वाले शिव चालीसा का पाठ करना भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। शिव चालीसा में भगवान शिव के गुणों, उनकी लीलाओं और उनकी कृपा प्राप्त करने के मार्ग का वर्णन किया गया है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि मनोकामनाओं को पूर्ण करने में भी सहायक है।

शिव चालीसा का पाठ करने से पहले भक्तों को शुद्ध मन और शुद्ध हृदय से भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्हें आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।

🌿 दोहा 🌿
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

🌿 शिव चालीसा लिखित मे 🌿

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जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबही जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु रखारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करैं सदा हीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

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पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक फूल कमल रह्यो अधूरा। कृपा करहिं जानि जन पूरा॥
शंकर सहज हीं पारख ज्ञानी। पूजन करय फूल की नयानी॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। कर कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि में नाथ पुकारो। यह अवसर मोहि आन उबारो॥
ले त्रिशूल शत्रुहिं संहारी। सकल भूत भविष्य सुखकारी॥

मत कर मोहि दास पुकारा। हूं स्वामी कृतार्थ हमारा॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होती है शम्भु सहाई॥

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

🌿 दोहा 🌿
नित नेम कर प्रातः ही, पाठ करै चालीसा।
नित नया उत्साह उर, शिव कृपा जगदीश॥

🙏 हर हर महादेव! 🙏

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