Vande Mataram Lyrics in Hindi | ‘वन्दे मातरम्’ के रचईता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय को श्रद्धांजली!!

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय: राष्ट्रवाद के प्रेरक कवि और ‘वन्दे मातरम्’ के रचयिता

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 27 जून, 1838 को उत्तर 24 परगना, नैहाटी, वर्तमान पश्चिम बंगाल के कंठपुरा गाँव में हुआ था। वे भारत के महान उपन्यासकारों और कवियों में से एक थे। ‘वन्दे मातरम्’ गीत, Vande Mataram lyrics in Hindi, हमारे राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ के रचईता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का निधन सन 1894 में ८ अप्रैल को हुआ था। वन्दे मातरम् सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् शस्यशामलां मातरम् ।

वन्दे मातरम गीत (Vande Mataram lyrics) का प्रकाशन

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम गीत (Vande Mataram lyrics) को पहली बार अपने उपन्यास आनन्द मठ में प्रकाशित किया था। यह गीत 1882 में प्रकाशित हुआ था।

वंदे मातरम गीत का पहली बार सार्वजनिक रूप से गायन 7 अगस्त, 1890 को कलकत्ता के एक सभागार में हुआ था। इस सभागार में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय भी उपस्थित थे।

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वंदे मातरम गीत को भारतीय राष्ट्रीय गान बनाने के लिए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन, इस प्रस्ताव को अंग्रेज सरकार ने अस्वीकार कर दिया था।

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स्वतंत्रता के बाद, वंदे मातरम गीत को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किया गया।

वन्दे मातरम् 
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम् 
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं 
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं 
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं 
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। 
वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले, 
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।
 वन्दे मातरम् ।
 तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि हृदि,
 तुमि मर्म त्वं हि प्राणा: 
शरीरे बाहुते तुमि मा शक्ति, 
हृदये तुमि मा भक्ति, 
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।।
 वन्दे मातरम् ।
 त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी 
कमला कमलदलविहारिणी वाणी विद्यादायिनी,
 नमामि त्वाम् नमामि कमलां
 अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।।
 वन्दे मातरम् ।
 श्यामलां सरलां सुस्मितां 
भूषितां धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।
 वन्दे मातरम् ।।

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Meaning of Vande Mataram by Sri Aurobindo Mother, I bow to thee! Rich with thy hurrying streams, bright with orchard gleams, Cool with thy winds of delight, Dark fields waving Mother of might, Mother free.Glory of moonlight dreams, Over thy branches and lordly streams, Clad in thy blossoming trees, Mother, giver of ease Laughing low and sweet! Mother I kiss thy feet, Speaker sweet and low! Mother, to thee I bow.Who hath said thou art weak in thy lands When the sword flesh out in the seventy million hands And seventy million voices roar Thy dreadful name from shore to shore? With many strengths who art mighty and stored, To thee I call Mother and Lord! Though who savest, arise and save! To her I cry who ever her foeman drove Back from plain and Sea And shook herself free.Thou art wisdom, thou art law, Thou art heart, our soul, our breath Though art love divine, the awe In our hearts that conquers death. Thine the strength that nervs the arm, Thine the beauty, thine the charm. Every image made divine In our temples is but thine.Thou art Durga, Lady and Queen, With her hands that strike and her swords of sheen, Thou art Lakshmilotus-throned, And the Muse a hundred-toned, Pure and perfect without peer, Mother lend thine ear, Rich with thy hurrying streams, Bright with thy orchard gleems, Dark of hue O candid-fairIn thy soul, with jewelled hair And thy glorious smile divine, Lovilest of all earthly lands, Showering wealth from well-stored hands! Mother, mother mine! Mother sweet, I bow to thee, Mother great and free!

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निष्कर्ष

बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय एक महान कवि और उपन्यासकार थे। उन्होंने अपने लेखन से भारत की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें भारत के राष्ट्रीय कवि के रूप में जाना जाता है।

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