माँ दुर्गा, जो शक्ति और करुणा की प्रतीक हैं, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं। नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर माँ दुर्गा की स्तुति मंत्रों के माध्यम से की जाती है। ये मंत्र न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा और माँ की कृपा भी प्रदान करते हैं। इस लेख में हम माँ दुर्गा स्तुति मंत्र (durga stuti), उनके अर्थ, महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र क्या हैं?
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र वे पवित्र मंत्र हैं जो माँ दुर्गा की शक्ति, महिमा और करुणा का गुणगान करते हैं। ये मंत्र संस्कृत में रचित हैं और इन्हें नवरात्रि, दुर्गा पूजा या अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान जप किया जाता है। इन मंत्रों का जाप करने से भक्तों को मानसिक शांति, बाधाओं से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
प्रसिद्ध माँ दुर्गा स्तुति मंत्र
नीचे लोकप्रिय माँ दुर्गा स्तुति मंत्र (maa durga stuti mantra) और उनके अर्थ दिए गए हैं:
“सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥”
अर्थ:
- सर्वमंगलमांगल्ये — जो सभी मंगलों (शुभताओं) की जननी हैं,
- शिवे — कल्याणकारी (मंगलदायिनी) हैं,
- सर्वार्थसाधिके — जो सभी कार्यों (अर्थों) की सिद्धि कराने वाली हैं,
- शरण्ये — जिनकी शरण ली जाती है,
- त्र्यम्बके — जिनकी तीन आँखें हैं (त्रिनेत्री हैं),
- गौरी — जो गौर वर्ण (उज्जवल) की हैं,
- नारायणी — जो नारायण की शक्ति हैं,
- नमः अस्तु ते — आपको नमस्कार है, प्रणाम है।
सरल शब्दों में:
हे माँ गौरी! आप सभी शुभताओं की उत्पत्ति करने वाली हैं, सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली हैं, शरणागत की रक्षा करने वाली हैं, तीन नेत्रों वाली हैं और नारायण स्वरूपा हैं — आपको मेरा साष्टांग प्रणाम।
श्री माँ दुर्गा स्तुति | Durga Stuti in Hindi
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां ।
उमा रमा गौरी ब्रह्माणी,
जय त्रिभुवन सुख कारिणी मां ।।
हे महालक्ष्मी हे महामाया,
तुम में सारा जगत समाया ।
तीन रूप तीनों गुण धारिणी,
तीन काल त्रैलोक बिहारिणी ।।
हरि हर ब्रह्मा इंद्रादिक के,
सारे काज संवारिणी माँ ।
जय जग जननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां
शैल सुता मां ब्रह्मचारिणी,
चंद्रघंटा कूष्मांडा माँ ।
स्कंदमाता कात्यायनी माता,
शरण तुम्हारी सारा जहां।।
कालरात्रि महागौरी तुम हो
सकल रिद्धि सिद्धि धारिणी मां
जय जग जननी आदि भवानी
जय महिषासुर मारिणी माँ
अजा अनादि अनेका एका,
आद्या जया त्रिनेत्रा विद्या।
नाम रूप गुण कीर्ति अनंता,
गावहिं सदा देव मुनि संता।।
अपने साधक सेवक जन पर,
सुख यश वैभव वारिणी मां ।।
जय जगजननी आदि भवानी,
जय महिषासुर मारिणी मां।।
दुर्गति नाशिनी दुर्मति हारिणी दुर्ग निवारण दुर्गा मां,
भवभय हारिणी भवजल तारिणी सिंह विराजिनी दुर्गा मां ।
पाप ताप हर बंध छुड़ाकर जीवो की उद्धारिणी माँ,
जय जग जननी आदि भवानी जय महिषासुर मारिणी माँ।।
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र का महत्व
माँ दुर्गा स्तुति मंत्रों का जाप न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाता है। इन मंत्रों का महत्व निम्नलिखित है:
- आध्यात्मिक शांति: मंत्रों का नियमित जाप मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है।
- नकारात्मकता से मुक्ति: माँ दुर्गा की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जाएँ दूर होती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा: ये मंत्र घर और मन में सकारात्मकता का संचार करते हैं।
- कृपा प्राप्ति: माँ दुर्गा के मंत्रों का जाप करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र की पूजा विधि
माँ दुर्गा की स्तुति मंत्रों का जाप करने के लिए निम्नलिखित पूजा विधि का पालन करें:
- शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की तैयारी: एक स्वच्छ स्थान पर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलन: माँ के सामने घी या तेल का दीपक जलाएँ।
- पुष्प और प्रसाद: माँ को फूल, माला और प्रसाद अर्पित करें।
- मंत्र जाप: रुद्राक्ष की माला पर माँ दुर्गा के मंत्रों का 108 बार जाप करें।
- आरती: अंत में माँ दुर्गा की आरती करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
मंत्र जाप के लिए सावधानियाँ
- मंत्रों का उच्चारण शुद्ध और सही होना चाहिए।
- पूजा के दौरान मन को एकाग्र रखें।
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंत्र जाप से बचना चाहिए।
- सात्विक भोजन करें और क्रोध या नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
नवरात्रि में माँ दुर्गा स्तुति मंत्र का महत्व
नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रत्येक दिन विशेष मंत्रों का जाप करने से माँ के विभिन्न स्वरूपों की कृपा प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए:
- प्रथम दिन (शैलपुत्री): “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करें।
- द्वितीय दिन (ब्रह्मचारिणी): “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें।
- नवम दिन (सिद्धिदात्री): “ॐ देवी सिद्धिदात्री नमः” का जाप करें।
निष्कर्ष
माँ दुर्गा स्तुति मंत्र भक्तों के लिए आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति का स्रोत हैं। इन मंत्रों का नियमित जाप न केवल माँ की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि भी लाता है। नवरात्रि या अन्य शुभ अवसरों पर इन मंत्रों का जाप करें और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से अपने जीवन को प्रकाशमय बनाएँ।
अब आप भी माँ दुर्गा की स्तुति मंत्रों का जाप शुरू करें और उनके आशीर्वाद को अपने जीवन में अनुभव करें!
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