Why We Celebrate Ganesh Chaturthi in Hindi: हर साल गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है | इस त्यौहार का सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है | गणेश चतुर्थी हिन्दू त्योहारों में से एक है | भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में 10 दिनों का उत्सव मनाया जाता है | गणेश भगवान का मूर्ति गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किया जाता है | 10 दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा करने के बाद अनंत चतुर्थी के दिन उनकी विसर्जन कर दिया जाता है, इस साल गणेश चतुर्थी 07 सितम्बर को मनाया जायेगा.
गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है | Ganesh Chaturthi Kyon Manae Jaati Hai
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है पौराणिक कथाओ के मुताबिक भागवन गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था. गणेशोत्सव के दौरान सभी लोग बप्पा घरो में विराजमान होते है। किसी भी नए काम की सुरुवात से पहले भगवान गणेश की पूजा करने की परम्परा है. गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, गणेश उत्सव मानाने की परम्परा महाराट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से ही है.
गणेश चतुर्थी कब है 2024 मुहूर्त
07 सितम्बर 2024 दिन शनिवार को द्रिक पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी दिन मध्याह्न गणपति पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 31 मिनट है।
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गणेश उत्सव का महत्त्व
भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता मना जाता है उनकी पूजा करने से सुख समृद्धि का वास होता है | इन राज्यों में गणपति जी का विशाल पंडाल लगते है इस दिन सभी के घरो में भगवान गणेश जी की प्रतिमा का भव्य स्वागत किया जाता है, गणेश चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है.
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का इतिहास मराठा साम्राज्य के सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा है मान्यता है की भारत में मुंगल शासन के दौरान अपनी सनातन संस्कृति को बचाने हेतु छत्रपति शिवाजी जी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी यानि गणेश महोत्सव की शुरुआत की थी.
गणपति विसर्जन
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की मूर्ति स्थपना करने की परम्परा है और उसके 10 दिन के बाद विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश को इतनी श्रद्धा के साथ लाने और पूजा करने के बाद उन्हें विसर्जन क्यों कर दिया जाता है धर्म शास्त्रों के अनुसार एक बहुत महत्वपूर्ण कथा छिपी हुई है। महर्षि वेदव्यास महाराज गणपति जी से महाभारत की रचना को क्रमबद्ध करने की प्रार्थना की थी। गणेश चतुर्थी के दिन व्यास जी श्लोक बोलते गए और गणेश जी उसे लिखित के रूप में करते गए 10 दिन लगातार लेखन करने के बाद गणेश जी पर धूल मिटटी की परते चढ़ गयी थी गणेश जी इस परत को साफ करने ही दसवे दिन चतुर्थी पर सरस्वती नदी में स्नान किया था तभी से गणेश जी को विधि विधान से विसर्जित करने की परम्परा है।