Hanuman Chalisa Hindi | श्री हनुमान चालीसा। | (Updated 2025)

Hanuman Chalisa in Hindi: श्री हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है। यह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित है और इसमें 40 चौपाइयाँ (छंद) हैं, जो भगवान हनुमान की महिमा, शक्ति और भक्ति का वर्णन करती हैं। यह हिंदू धर्म में बहुत लोकप्रिय है और अक्सर भक्तों द्वारा पढ़ा जाता है।

यहाँ श्री हनुमान चालीसा का पाठ दिया गया है:

श्री हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa

दोहा:

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवनकुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई:

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।।

शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।

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विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

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आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सादर हो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्ब सुख करई।।

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।

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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा।।

दोहा:

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मविश्वास मिलता है। यह माना जाता है कि इसके नियमित पाठ से सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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