मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन (Mangalnath Mandir Ujjain) में स्थित एक प्राचीन और पवित्र स्थल है, जो भगवान शिव के मंगलनाथ स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी कुंडली में मंगल दोष का निवारण करना चाहते हैं।
मंगलनाथ मंदिर का पौराणिक इतिहास
मत्स्य पुराण के अनुसार, मंगलनाथ को मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है। कथा है कि अंधकासुर नामक दैत्य को भगवान शिव से वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंदों से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। अंधकासुर के अत्याचारों से त्रस्त होकर, देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। शिवजी ने अंधकासुर से युद्ध किया, जिससे उनके पसीने की बूंदें धरती पर गिरीं और उससे मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। मंगल ग्रह ने अंधकासुर के रक्त को सोख लिया, जिससे उसकी भूमि लाल रंग की हो गई।
मंगलनाथ मंदिर का निर्माण और महत्व
यह मंदिर सदियों पुराना है, जिसका पुनर्निर्माण सिंधिया राजघराने द्वारा किया गया था। उज्जैन को भगवान महाकाल की नगरी कहा जाता है, और यहाँ मंगलनाथ भगवान की शिव रूपी प्रतिमा का पूजन किया जाता है। मंगलवार के दिन इस मंदिर में विशेष भीड़ होती है, क्योंकि इस दिन को भगवान मंगल के पूजन के लिए समर्पित माना जाता है।
मंगल दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है, वे इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना करवाते हैं। यहाँ भात पूजा का विशेष महत्व है, जो मंगल दोष के निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। मान्यता है कि शांत मन से की गई यह पूजा कुंडली में उग्र रूप धारण किए हुए मंगल को शांत करती है।
मंगलनाथ मंदिर के दर्शन का समय
मंगलनाथ मंदिर (mangalnath mandir) प्रतिदिन सुबह 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है। सुबह 6:00 बजे मंगल आरती होती है, जिसके तुरंत बाद मंदिर परिसर के आसपास तोते मँडराने लगते हैं। लोगों का विश्वास है कि पंछियों के रूप में मंगलनाथ स्वयं प्रसाद ग्रहण करने आते हैं।
मंगलनाथ मंदिर तक पहुँचने का मार्ग
उज्जैन रेलवे स्टेशन से मंगलनाथ मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है, जिसे ऑटो रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से 20 मिनट में तय किया जा सकता है। यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं, तो निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में है, जहाँ से उज्जैन तक टैक्सी या ट्रेन द्वारा लगभग 1.5 घंटे में पहुँचा जा सकता है।
मंगलनाथ मंदिर के आसपास दर्शनीय स्थल
मंगलनाथ मंदिर के निकट कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें कालियादेह महल प्रमुख है। यह खूबसूरत महल अपने स्थापत्य कला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
मंगलनाथ मंदिर की विशेषताएँ
मंगलनाथ मंदिर कर्क रेखा पर स्थित है, जिसे देश का नाभि स्थल माना जाता है। यहाँ भगवान शिव को मंगलनाथ के रूप में पूजा जाता है, जो मंगल ग्रह के देवता हैं। मंगलवार के दिन विशेष पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और भात पूजा का आयोजन होता है, जो मंगल दोष निवारण के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मंगलनाथ मंदिर की भात पूजा
मंगलनाथ मंदिर में प्रतिदिन भात पूजा का विधान है, जो विशेष रूप से मंगल दोष के निवारण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। ज्योतिष के अनुसार, मंगल प्रधान व्यक्तियों को क्रोध अधिक आता है या उनका मन अशांत रहता है। ऐसे में उनके मन को नियंत्रित करने और कुंडली के मंगल दोष को दूर करने के लिए यहाँ भात पूजा कराई जाती है, जिसके पुण्य लाभ से मंगल से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं और साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।
मंगलनाथ मंदिर का खगोलीय महत्व
प्राचीन काल में, मंगलनाथ मंदिर ग्रहों के स्पष्ट दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध था और इसलिए खगोलीय अध्ययन के लिए उपयुक्त स्थान माना जाता था। यह मंदिर कर्क रेखा पर स्थित है, जो इसे खगोलविदों के लिए विशेष बनाता है।
मंगलनाथ मंदिर की वास्तुकला
मंगलनाथ मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली की है, जिसमें भगवान शिव के मंगलनाथ स्वरूप की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण है, जो भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
मंगलनाथ मंदिर में आयोजित होने वाले उत्सव
मंगलनाथ मंदिर में अंगारक चतुर्थी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन यहाँ विशेष यज्ञ-हवन किए जाते हैं, और दूर-दूर से लोग मंगल ग्रह की शांति के लिए उज्जैन आते हैं। यहाँ होने वाली भात पूजा को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।